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Working of Lekhpal
चकबंदी वह विधि है, जिसके माध्यम से खेती की भूमि को विभाजित होने से प्रतिबंधित किया जाता है, तथा भूमि के छोटे- छोटे टुकड़ो को एक साथ सम्मिलित किया जाता है, भारत में छोटे खेतों के कारण किसानों की कार्य क्षमता में कमी आती है, इसके विपरीत बड़े खेतों में कृषक के लिए नवीनतम कृषि यंत्रों का प्रयोग करना सरल हो जाता है, जिससे उसकी कार्य क्षमता में अत्यधिक वृद्धि होती है, बड़े खेतों में बदलने पर छोटे खेतों को विभाजित करने में उपयोग की गई मेड़ों की संख्या कम हो जाती है, जिससे मेड़ो में उपयोग की गई भूमि का भी कृषि कार्य के उपयोग में आ जाती है, इस पेज पर चकबंदी लेखपाल के कार्य एवं चकबंदी के नियम और चकबंदी की शिकायत करनें के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान कर रहे है |
चकबंदी लेखपाल के कार्य एवं नियम (Consolidation Lekhpal’ Work and Rules)
- राज्य सरकार जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 4(1), 4(2) के अंतर्गत अधिसूचना जारी की जाती है, अधिसूचना जारी होने के पश्चात चकबंदी आयुक्त 4क (1), 4क (2) के अंतर्गत चकबंदी प्रक्रिया शुरू करने की विज्ञप्ति जारी करता है, जिस ग्राम में चकबंदी की अधिसूचना की जाती है, उस ग्राम के राजस्व न्यायालय में सभी मुकदमे निष्प्रभावी(Ineffectual) हो जाते है, इस समयावधि में चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी किसान अपनी भूमि का उपयोग कृषि कार्य के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में प्रयोग नहीं कर सकता है
- चकबंदी की अधिसूचना जारी होने के पश्चात गांव में चकबंदी समिति का गठन (Constituting The Consolidation Committee) किया जाता है, इस समिति में सदस्यों का चयन भूमि प्रबंधन समिति के सदस्यों में से किया जाता है, इस समिति का कार्य चकबंदी प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर चकबंदी अधिकारियों को सहयोग और परामर्श प्रदान करना होता है
- चकबंदी अधिनियम की धारा-7 के अंतर्गत चकबंदी लेखपाल ग्राम में जाकर जमीन के अनुसार भूमि का मानचित्र संशोधित करता है, चकबंदी लेखपाल धारा-8 के अंतर्गत जाँच का कार्य सम्पन्न करता है, इसके अंतर्गत गाटो की भौतिक स्थिति, पेड़, कुओं, सिंचाई के साधन आदि को प्रदर्शित आकार पत्र-2(Size letter-2) किया जाता है, इसके अतिरिक्त खतौनी की अशुद्धियों का अंकन आकार-पत्र 4 (Marking the Impurities of Khatauni, Letter 4) में किया जाता है
- जाँच के उपरांत सहायक चकबंदी अधिकारी के द्वारा चकबंदी समिति के परामर्श पर भूमि के विनिमय {(अदल-बदल)( Land swap)} का निर्धारण गाटो की भौगोलिक स्थिति के आधार पर किया जाता है
- चकबंदी अधिनियम की धारा-8 (क) के अंतर्गत सिद्धांतों का विवरण पत्र तैयार किया जाता है, इस विवरण पत्र के अंतर्गत कटौती का प्रतिशत, सार्वजानिक उपयोग की भूमि का आरक्षण और चकबंदी की प्रक्रिया में अपनाए जाने वाले सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है
चकबंदी की शिकायत (Complaining Grievance)
- किसान या खातेदार को अभी तक की की गई सभी कार्यवाही से अवगत कराने के लिए अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत किसान या खातेदार को अपने खाते की स्थिति और गाटो के क्षेत्रफल की अशुद्धियां को आकार-पत्र 5 के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाती है
- किसान या खातेदार को आकार-पत्र 5 में दिए गए विवरण पर अपनी आपत्ति दर्ज(Objection) कराने का अधिकार होता है, इसके बाद सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा सभी अभिलेखों को पुनः सही करने के पश्चात अपने निर्णय का आदेश पारित करते है, यदि किसान या खातेदार उस निर्णय से सहमत नहीं है, तो वह इसके लिए बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के यहां अपील कर सकते है
- सभी अपील का निस्तारण करने के पश्चात धारा-10 के अंतर्गत पुनः खतौनी बनायीं जाती है, इस खतौनी में खातेदारों की जोत सम्बन्धी, त्रुटियों को सही रूप में प्रदर्शित किया जाता है, इसके बाद सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा चकबंदी समिति के परामर्श के अनुसार चकबंदी योजना का निर्माण किया जाता है, इस प्रकार से धारा-20 के अंतर्गत आकार पत्र-23 भाग-1 का वितरण किया जाता है
- चकबंदी अधिनियम की धारा-27 के अंतर्गत रिकॉर्ड (बंदोबस्त) को तैयार किया जाता है, इसमें आकार पत्र-41 और 45 का निर्माण किया जाता है और नए मानचित्र का निर्माण किया जाता है, मानचित्र के अंतर्गत पुराने गाटो के स्थान पर नये गाटे बना दिए जाते हैं, इस प्रकार से इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की जाँच की जाती है